विविध >> 1000 रामायण प्रश्नोत्तरी 1000 रामायण प्रश्नोत्तरीराजेन्द्र प्रताप सिंह
|
13 पाठकों को प्रिय 182 पाठक हैं |
इसमें 1000 रामायण संबंधी प्रश्न तथा उनके उत्तर....
1000 Ramayan Prashnottari - A Quiz book on Ramayan in Hindi by Rajendra Pratap Singh - 1000 रामायण प्रश्नोत्तरी - राजेन्द्र प्रताप सिंह
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
क्या आप जानते है-‘वह कौन वीर था जिसने रावण को बन्दी बना कर करागार में डाल दिया था और उसके (रावण के) पितामह के निवेदन पर उसे मुक्त किया गया था,’ ‘लक्ष्मण, हनुमान, भरत और शत्रुघ्न को किन भाइयों ने युद्ध में पराजित कर दिया था,’ ‘कुभकरण के शयन हेतु रावण ने जो घर बनवाया था वह कितना लम्बा-चौड़ा था,’ ‘राक्षसों को ‘यातुधान’ धान क्यों कहा जाता है,’ ‘हनुमानजी का नाम हनुमान कैसे पड़ा,’ ‘लंका जाने हेतु समुद्र पर बनाए गए सेतु की लम्बाई कितनी थी’ तथा ‘रामायण में कुल कितने वरदानों और शापों का वर्णन है ?’ यदि नहीं, तो ‘रामायण प्रश्नोत्तरी’ पढ़ें। आपको इसमें इन सभी और ऐसे ही रोचक रोमांचक जिज्ञासापूर्ण व खोजपरक 1000 प्रश्नों के उत्तर जानने को मिलेंगे।
इस पुस्तक में रामायण के अनेक पात्रों, पर्वतों, नगरों, नदियों तथा राक्षसों एवं श्री राम की सेना के बीच युद्ध में प्रयुक्त विभिन्न शस्त्रास्त्रों एवं दिव्यस्त्रों के नाम, उनके प्रयोग और परिणामों की रोमांचक जानकारी दी गई है। इसके अतिरिक्त लगभग डेढ़ सौ विभिन्न पात्रों के माता, पिता, पत्नी, पुत्र-पुत्री पितामह, पौत्र, नाना, मामा आदि संबंधों के खोजपरक विवरण भी। इसमें संगृहीत प्रश्न रामायण के विस्तृत पटल से चुनकर बनाए गए हैं।
यह पुस्तक आम पाठकों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, लेखकों, संपादकों, पत्रकारों, वक्ताओं, शोधार्थियों शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए भी अत्यन्त उपयोगी है। यथार्थतः यह रामायण का संदर्भ कोश है।
इस पुस्तक में रामायण के अनेक पात्रों, पर्वतों, नगरों, नदियों तथा राक्षसों एवं श्री राम की सेना के बीच युद्ध में प्रयुक्त विभिन्न शस्त्रास्त्रों एवं दिव्यस्त्रों के नाम, उनके प्रयोग और परिणामों की रोमांचक जानकारी दी गई है। इसके अतिरिक्त लगभग डेढ़ सौ विभिन्न पात्रों के माता, पिता, पत्नी, पुत्र-पुत्री पितामह, पौत्र, नाना, मामा आदि संबंधों के खोजपरक विवरण भी। इसमें संगृहीत प्रश्न रामायण के विस्तृत पटल से चुनकर बनाए गए हैं।
यह पुस्तक आम पाठकों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, लेखकों, संपादकों, पत्रकारों, वक्ताओं, शोधार्थियों शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए भी अत्यन्त उपयोगी है। यथार्थतः यह रामायण का संदर्भ कोश है।
स्वकथ्य
रामायण भारतीय एवं हिंदू वाङ्मय का सर्वाधिक पूज्य एवं समादृत ग्रंथ है। रामचरित की पावन गंगा सदियों से हिंदू समाज मानस में कल-कल प्रवाहित होती आई है। संसार के किसी भी भाग में रहने वाले हिंदू रामायण-रामचरित के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा एवं भावनात्मक जुड़ाव रखते हैं। रामायण से संबंधित कथाओं उपकथाओं की चर्चा सर्वत्र बड़ी ही आस्था व श्रद्धा से की जाती है। अनेक बार हम उस कथा को सुन चुके होते हैं, फिर भी बार-बार सुनने-जानने को मन उत्सुक रहता है।
प्रस्तुत पुस्तक की रचना का प्रयोजन ऐसे व्यक्तियों को रामायण संबंधी ज्ञान से समृद्ध कराना है, जो रामायण के विषय में अधिकाधिक जानना चाहते हैं, इसमें अभिरुचि रखते हैं। समय के अभाव के कारण रामायण जैसे ग्रंथ को पढ़कर उसे आत्मसात् कर पाने का अवसर आज सबके पास नहीं है। यह पुस्तक पाठकों को बहुत सूक्ष्मता और सरलता से रामायण के प्रमुख बिंदुओं, वस्तुनिष्ठ तथ्यों और महत्त्वपूर्ण संदर्भों से परिचित कराती है। इस पुस्तक में रामायण में उल्लिखित केंद्रीय और महत्त्वपूर्ण प्रश्नों को दिया गया है। इसमें प्रश्नों के माध्यम से श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, दशरथ, कौशल्या, कैकेयी, सुमित्रा, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान, बालि, अंगद, सुग्रीव, जांबवान्, नल, नील तथा रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद, विभीषण, मंदोदरी आदि प्रमुख पात्रों के साथ ही विभिन्न पर्वतों, नगरों एवं नदियों के संबंध में सुस्पष्ट और संक्षिप्त जानकारी मिलती है। राक्षसों एवं श्रीराम की सेना के बीच युद्ध में किए गए पराक्रमों तथा श्रीराम व रावण और लक्ष्मण व मेघनाद आदि के मध्य युद्ध में प्रयुक्त विभिन्न शस्त्रास्त्रों एवं दिव्यास्त्रों के नाम, उनके प्रयोग और परिणामों के साथ ही राक्षसों द्वारा किए गए विचित्र माया युद्धों का भी रोमाचंक वर्णन है।
साथ ही रामायण में वर्णित ऋषियों, महर्षियों व राजर्षियों के पावन चरित्रों का भी परिचय प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त लगभग डेढ़ सौ विभिन्न पात्रों के माता, पिता, पत्नी, पुत्र-पुत्री पितामह पौत्र, नाना, मामा आदि जैसे संबंधों का विस्तृत एवं खोजपरक वर्णन भी। इसमें चौदह अध्यायों के अंतर्गत कुल 1000 प्रश्न दिए गए हैं। ये सभी प्रश्न रामायण से संदर्भ लेकर चुनकर बनाए गए हैं। ‘क्या नाम था’, ‘रोमांचक जानकारियों’, ‘महत्त्वपूर्ण स्थान’, ‘अस्त्र-शस्त्र’, ‘वरदान और शाप’, ‘नामों की निर्मिति’, ‘संख्याओं को भी जानें’, तथा ‘संबंधों का सागर’ जैसे महत्त्वपूर्ण अध्यायों में वर्गीकृत ये प्रश्न सहज ही पाठकों को रामायण संबंधी अनेकानेक जानकारियाँ प्रदान करते हैं। यथार्थतः यह पुस्तक रामायण का संदर्भ कोश है।
कई बार ऐसे अवसर आते हैं, जब हम रामायण का कोई संदर्भ जानना चाहते हैं और ग्रंथ के पन्ने पलटते जाते हैं; ढूँढ़ते हैं। खोजते हैं, किंतु वह नहीं मिलता। ऐसे में यह पुस्तक पाठकों को अपार सहयोग देगी। यह आम पाठकों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, लेखकों संपादकों, पत्रकारों, वक्ताओं शिक्षकों विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।
पुस्तक के अंत में तीन परिशिष्ट दिए गए हैं। परिशिष्ट-1 में श्रीराम की वंश परंपरा का परिचय परिशिष्ट-2 में राजा जनक की वंश परंपरा का परिचय तथा परिशिष्ट-3 में लंका नरेश रावण का वंश वृक्ष दिया गया है। आशा है, तीनों परिशिष्ट पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।
प्रस्तुत पुस्तक को तैयार करने में प्रमुख रूप से वाल्मीकीय रामायण की सहायता ली गई है, तथापि इसमें श्रीरामचरितमानस एवं अद्भुत रामायण से संबंधित तथा लोक प्रसिद्ध अन्य कथा प्रसंगों की भी अल्पाधिक सहायता ली है।
परम श्रद्धेय मनीषी विद्वान डॉ. श्याम बहादुर वर्माजी का मैं कृतज्ञ रहूँगा, जिन्होंने पांडुलिपि निर्माण में समय समय पर मेरा मार्गदर्शन किया। मेरे संपादक मित्रों- श्री प्रेमपाल शर्मा एवं श्री अशोककुमार ज्योति ने पुस्तक को सँवारने में जो महत्त्वपूर्ण योगदान दिया उसके लिए उनका हार्दिक आभार। प्रस्तुत पुस्तक की पांडुलिपि तैयार करते समय प्रिय जीवनसंगिनी श्रीमती उषा सिंह ने जिस समर्पण भाव से सहयोग दिया, बिखरे-फैले व अव्यवस्थित कागजों को जिस आत्मीयता से सहेजा उसके लिए धन्यवाद शब्द कम होगा।
और अंततः पुस्तक आपके हाथों में है। अपने परिश्रम के मूल्यांकन तथा उसके सत्-असत् का निर्णय मैं आप पर छोड़ता हूँ।
प्रस्तुत पुस्तक की रचना का प्रयोजन ऐसे व्यक्तियों को रामायण संबंधी ज्ञान से समृद्ध कराना है, जो रामायण के विषय में अधिकाधिक जानना चाहते हैं, इसमें अभिरुचि रखते हैं। समय के अभाव के कारण रामायण जैसे ग्रंथ को पढ़कर उसे आत्मसात् कर पाने का अवसर आज सबके पास नहीं है। यह पुस्तक पाठकों को बहुत सूक्ष्मता और सरलता से रामायण के प्रमुख बिंदुओं, वस्तुनिष्ठ तथ्यों और महत्त्वपूर्ण संदर्भों से परिचित कराती है। इस पुस्तक में रामायण में उल्लिखित केंद्रीय और महत्त्वपूर्ण प्रश्नों को दिया गया है। इसमें प्रश्नों के माध्यम से श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, दशरथ, कौशल्या, कैकेयी, सुमित्रा, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान, बालि, अंगद, सुग्रीव, जांबवान्, नल, नील तथा रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद, विभीषण, मंदोदरी आदि प्रमुख पात्रों के साथ ही विभिन्न पर्वतों, नगरों एवं नदियों के संबंध में सुस्पष्ट और संक्षिप्त जानकारी मिलती है। राक्षसों एवं श्रीराम की सेना के बीच युद्ध में किए गए पराक्रमों तथा श्रीराम व रावण और लक्ष्मण व मेघनाद आदि के मध्य युद्ध में प्रयुक्त विभिन्न शस्त्रास्त्रों एवं दिव्यास्त्रों के नाम, उनके प्रयोग और परिणामों के साथ ही राक्षसों द्वारा किए गए विचित्र माया युद्धों का भी रोमाचंक वर्णन है।
साथ ही रामायण में वर्णित ऋषियों, महर्षियों व राजर्षियों के पावन चरित्रों का भी परिचय प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त लगभग डेढ़ सौ विभिन्न पात्रों के माता, पिता, पत्नी, पुत्र-पुत्री पितामह पौत्र, नाना, मामा आदि जैसे संबंधों का विस्तृत एवं खोजपरक वर्णन भी। इसमें चौदह अध्यायों के अंतर्गत कुल 1000 प्रश्न दिए गए हैं। ये सभी प्रश्न रामायण से संदर्भ लेकर चुनकर बनाए गए हैं। ‘क्या नाम था’, ‘रोमांचक जानकारियों’, ‘महत्त्वपूर्ण स्थान’, ‘अस्त्र-शस्त्र’, ‘वरदान और शाप’, ‘नामों की निर्मिति’, ‘संख्याओं को भी जानें’, तथा ‘संबंधों का सागर’ जैसे महत्त्वपूर्ण अध्यायों में वर्गीकृत ये प्रश्न सहज ही पाठकों को रामायण संबंधी अनेकानेक जानकारियाँ प्रदान करते हैं। यथार्थतः यह पुस्तक रामायण का संदर्भ कोश है।
कई बार ऐसे अवसर आते हैं, जब हम रामायण का कोई संदर्भ जानना चाहते हैं और ग्रंथ के पन्ने पलटते जाते हैं; ढूँढ़ते हैं। खोजते हैं, किंतु वह नहीं मिलता। ऐसे में यह पुस्तक पाठकों को अपार सहयोग देगी। यह आम पाठकों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, लेखकों संपादकों, पत्रकारों, वक्ताओं शिक्षकों विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।
पुस्तक के अंत में तीन परिशिष्ट दिए गए हैं। परिशिष्ट-1 में श्रीराम की वंश परंपरा का परिचय परिशिष्ट-2 में राजा जनक की वंश परंपरा का परिचय तथा परिशिष्ट-3 में लंका नरेश रावण का वंश वृक्ष दिया गया है। आशा है, तीनों परिशिष्ट पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।
प्रस्तुत पुस्तक को तैयार करने में प्रमुख रूप से वाल्मीकीय रामायण की सहायता ली गई है, तथापि इसमें श्रीरामचरितमानस एवं अद्भुत रामायण से संबंधित तथा लोक प्रसिद्ध अन्य कथा प्रसंगों की भी अल्पाधिक सहायता ली है।
परम श्रद्धेय मनीषी विद्वान डॉ. श्याम बहादुर वर्माजी का मैं कृतज्ञ रहूँगा, जिन्होंने पांडुलिपि निर्माण में समय समय पर मेरा मार्गदर्शन किया। मेरे संपादक मित्रों- श्री प्रेमपाल शर्मा एवं श्री अशोककुमार ज्योति ने पुस्तक को सँवारने में जो महत्त्वपूर्ण योगदान दिया उसके लिए उनका हार्दिक आभार। प्रस्तुत पुस्तक की पांडुलिपि तैयार करते समय प्रिय जीवनसंगिनी श्रीमती उषा सिंह ने जिस समर्पण भाव से सहयोग दिया, बिखरे-फैले व अव्यवस्थित कागजों को जिस आत्मीयता से सहेजा उसके लिए धन्यवाद शब्द कम होगा।
और अंततः पुस्तक आपके हाथों में है। अपने परिश्रम के मूल्यांकन तथा उसके सत्-असत् का निर्णय मैं आप पर छोड़ता हूँ।
राजेंद्र प्रताप सिंह
1
क्या नाम था
1. श्रीराम की सेना के दो अभियंता वानरों के नाम बताइए।
क. अंगद-हनुमान
ख. सुग्रीव-अंगद
ग. केसरी-सुषेण
घ. नल-नील
2. जिस विमान पर बैठकर श्रीराम लक्ष्मण-सीता सहित लंका से अयोध्या आए थे, उसका क्या नाम था ?
क. गरुण
ख. पुष्पक
ग. सौभ
घ. नीलकुंज
3. लंका के उस प्रसिद्ध वैद्य का क्या नाम था, जिसे लक्ष्मण की मूर्च्छा दूर करने हेतु हनुमान जी लंका से उठा लाए थे ?
क. मातलि
ख. विश्रवा
ग. सुषेण
घ. रैभ्य
4. लक्ष्मण की मूर्च्छा दूर करने हेतु हनुमानजी जो औषधि लेकर आए थे, उसका क्या नाम था ?
क. प्राणदायिनी बूटी
ख. संजीवनी बूटी
ग. अमृतांजनी
घ. योगिनी
5. राजा जनक का मूल नाम क्या था ?
क. सीरध्वज
ख. शतध्वज
ग. कपिध्वज
घ. मकरध्वज
6. कैकेयी की उस दासी का क्या नाम था जिसने कैकेयी को राम को वनवास और भरत को राजगद्दी माँगने के लिए बहकाया था ?
क. देविका
ख. सुजाता
ग. मंथरा
घ. सुहासिनी
7. वाल्मीकि रामायण की रचना जिस छंद में हुई है उसका क्या नाम है ?
क. चौपाई
ख. सोरठा
ग. सवैया
घ. अनुष्टुप्
8. उस गुप्तचर का क्या नाम था जिसके कहने पर श्रीराम ने सीताजी का परित्याग कर दिया था ?
क. सुमालि
ख. मणिभान
ग. दुर्मुख
घ. छंदक
9. कैकेयी की उस दासी का क्या नाम था जो मायके से ही उसके साथ आई थी ?
क. सुभदा
ख. मंथरा
ग. रेवती
घ. नलिनी
10. उस तीर्थ का क्या नाम था जिसमें डुबकी लगाकर श्रीराम ने परमधाम को प्रस्थान किया था ?
क. समंतपंचक
ख. गोमंतक
ग. गोप्रतार
घ. नारदकुंड
11. महर्षि विश्वामित्र का क्षत्रिय दशा का क्या नाम था ?
क. रुक्मरथ
ख. विश्वरथ
ग. चित्ररथ
घ. दशरथ
12. बालि और सुग्रीव जिस वानर से उत्पन्न हुए थे उसका क्या नाम था ?
क. ऋक्षराज
ख. जंभन
ग. मैंद
घ. गंधमादन
13. रामायणकालीन सरयू नदी को वर्तमान में क्या कहते हैं ?
क. यमुना
ख. घाघरा
ग. गोमती
घ. गंगा
14. समुद्र में रहनेवाली उस नागमाता का क्या नाम था, जिसने समुद्र लाँघते हुए हनुमानजी को रोका था और उन्हें खा जाने को उद्यत हुई थी ?
क. त्रिजटा
ख. मंथरा
ग. बलंधरा
घ. सुरसा
15. राजा दशरथ ने पुत्रोत्पत्ति हेतु जो यज्ञ किया था, उसका क्या नाम था ?
क. राजसूय
ख. पुत्रेष्टि
ग. वैष्णव
घ. अश्वमेध
16. राजा जनक के पुरोहित का क्या नाम था ?
क. सीरध्वज
ख. वसिष्ठ
ग. शतानंद
घ. याज्ञवल्क्य
17. महर्षि विश्वामित्र की तपस्या जिस अप्सरा ने भंग की थी उसका क्या नाम था ?
क. उर्वशी
ख. जानपदी
ग. घृताची
घ. मेनका
18. श्रीराम ने जिन वृक्षों की ओट लेकर वानरराज बालि को मारा था, उसका क्या नाम था ?
क. साल वृक्ष
ख. वट वृक्ष
ग. शमी वृक्ष
घ. अशोक वृक्ष
19. राजा जनक के छोटे भाई का क्या नाम था ?
क. कुशनाभ
ख. कुश
ग. कुशध्वज
घ. सीरध्वज
20. शत्रुघ्न के पुरोहित का क्या नाम था ?
क. शतानीक
ख. उपमन्यु
ग. आरुणि
घ. कांचन
क. अंगद-हनुमान
ख. सुग्रीव-अंगद
ग. केसरी-सुषेण
घ. नल-नील
2. जिस विमान पर बैठकर श्रीराम लक्ष्मण-सीता सहित लंका से अयोध्या आए थे, उसका क्या नाम था ?
क. गरुण
ख. पुष्पक
ग. सौभ
घ. नीलकुंज
3. लंका के उस प्रसिद्ध वैद्य का क्या नाम था, जिसे लक्ष्मण की मूर्च्छा दूर करने हेतु हनुमान जी लंका से उठा लाए थे ?
क. मातलि
ख. विश्रवा
ग. सुषेण
घ. रैभ्य
4. लक्ष्मण की मूर्च्छा दूर करने हेतु हनुमानजी जो औषधि लेकर आए थे, उसका क्या नाम था ?
क. प्राणदायिनी बूटी
ख. संजीवनी बूटी
ग. अमृतांजनी
घ. योगिनी
5. राजा जनक का मूल नाम क्या था ?
क. सीरध्वज
ख. शतध्वज
ग. कपिध्वज
घ. मकरध्वज
6. कैकेयी की उस दासी का क्या नाम था जिसने कैकेयी को राम को वनवास और भरत को राजगद्दी माँगने के लिए बहकाया था ?
क. देविका
ख. सुजाता
ग. मंथरा
घ. सुहासिनी
7. वाल्मीकि रामायण की रचना जिस छंद में हुई है उसका क्या नाम है ?
क. चौपाई
ख. सोरठा
ग. सवैया
घ. अनुष्टुप्
8. उस गुप्तचर का क्या नाम था जिसके कहने पर श्रीराम ने सीताजी का परित्याग कर दिया था ?
क. सुमालि
ख. मणिभान
ग. दुर्मुख
घ. छंदक
9. कैकेयी की उस दासी का क्या नाम था जो मायके से ही उसके साथ आई थी ?
क. सुभदा
ख. मंथरा
ग. रेवती
घ. नलिनी
10. उस तीर्थ का क्या नाम था जिसमें डुबकी लगाकर श्रीराम ने परमधाम को प्रस्थान किया था ?
क. समंतपंचक
ख. गोमंतक
ग. गोप्रतार
घ. नारदकुंड
11. महर्षि विश्वामित्र का क्षत्रिय दशा का क्या नाम था ?
क. रुक्मरथ
ख. विश्वरथ
ग. चित्ररथ
घ. दशरथ
12. बालि और सुग्रीव जिस वानर से उत्पन्न हुए थे उसका क्या नाम था ?
क. ऋक्षराज
ख. जंभन
ग. मैंद
घ. गंधमादन
13. रामायणकालीन सरयू नदी को वर्तमान में क्या कहते हैं ?
क. यमुना
ख. घाघरा
ग. गोमती
घ. गंगा
14. समुद्र में रहनेवाली उस नागमाता का क्या नाम था, जिसने समुद्र लाँघते हुए हनुमानजी को रोका था और उन्हें खा जाने को उद्यत हुई थी ?
क. त्रिजटा
ख. मंथरा
ग. बलंधरा
घ. सुरसा
15. राजा दशरथ ने पुत्रोत्पत्ति हेतु जो यज्ञ किया था, उसका क्या नाम था ?
क. राजसूय
ख. पुत्रेष्टि
ग. वैष्णव
घ. अश्वमेध
16. राजा जनक के पुरोहित का क्या नाम था ?
क. सीरध्वज
ख. वसिष्ठ
ग. शतानंद
घ. याज्ञवल्क्य
17. महर्षि विश्वामित्र की तपस्या जिस अप्सरा ने भंग की थी उसका क्या नाम था ?
क. उर्वशी
ख. जानपदी
ग. घृताची
घ. मेनका
18. श्रीराम ने जिन वृक्षों की ओट लेकर वानरराज बालि को मारा था, उसका क्या नाम था ?
क. साल वृक्ष
ख. वट वृक्ष
ग. शमी वृक्ष
घ. अशोक वृक्ष
19. राजा जनक के छोटे भाई का क्या नाम था ?
क. कुशनाभ
ख. कुश
ग. कुशध्वज
घ. सीरध्वज
20. शत्रुघ्न के पुरोहित का क्या नाम था ?
क. शतानीक
ख. उपमन्यु
ग. आरुणि
घ. कांचन
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book